ये रियलिटी शोज़
टीवी पर रियलिटी शोज़ की बाढ़ आई हुई है। इस बाढ़ का कहर भी उतना ही भयानक और विनाशकारी है जो पूरे देश में प्रलय मचा सकता है।
हम दोष देते हैं उन राजनैतिक नेताओं को, जो चुनाव के मौसम में जनता को क्षेत्र, जाति, धर्म, भाषा आदि के नाम पर गुमराह करते हैं। जो हर इंसान को दूसरे से भेदभाव करना सिखाते हैं पर लगता है आजकल उन नेताओं का काम टीवी ने संभाल लिया है।
टैलेंट शो में प्रतिभागी अपनी कला ,अपने हुनर को नहीं बल्कि अपने प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता है और जनता भी आंख मूँद कर उसकी कला की अनदेखी कर क्षेत्रवाद का हिस्सा बन जाती है।
बड़ा अफ़सोस होता है जब कोई प्रतिभागी टीवी पर अपने प्रदेश ,अपनी भाषा को हत्यार बना कर वोट अपील करता है और राष्ट्रीय एकता, भाईचारा ,सर्व धर्म एक जैसे नारों की खुलेआम धाजियाँ उडाता है ।
भले ही हम प्रगति कर रहे है पर ये भी सच है की हम कल भी समाजवाद का शिकार थे, आज भी है और चाहे इसे खत्म करने की कोशिश भी करे तब भी अप्रत्यक्ष रूप से हमारे दिलो में ये ज़हर घोला जा रहा है की हम एक नहीं है
और जो हमारे जैसा नहीं है उसे चाहे वो कितना भी गुनी हो हमें आगे नही बढ़ने देना है।
हमारी इसी कमी का अंग्रेजों ने फायदा उठाया दंगे कराये,देश के टुकड़े कराये ,हम पर राज किया आज के राजनेता भी यही कर रहे है हमारा फायदा उठा रहे हैं और अब टीवी वाले भी हम पढ़े लिखे अनपढों को मूर्ख बना के पैसा कमा रहे है ।
गलती हमारी ही है जो हम कभी भी अपने -पराये के भेदभाव से ऊपर नहीं उठ सके। इतिहास लौट के नहीं आ सकता ,उसे बदला भी नहीं जा सकता पर उससे सबक ज़रूर लिया जा सकता है
अब या तो हम इन शोज़ को मनोरंजन के तौर पे ले और वोट न करे या वोट करे भी तो जिम्मेदारी से समझदारी और भेदभाव किए बिना।
निर्णय अब आपके हाथ में है
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very correct.....aisa nahi hona chahiye hum agar vote karte hi hai to hume unhe hi vote karna chahiye jo deserving ho.....
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