पेड़ों की shifting,जीवन uplifting
वाकई जनाब ये केवल कहने की बात नहीं एक उज्जवल भविष्य बनाने की विधि है ।
हम अपने पर्यावरण , अपने वनों के प्रति कितने उदासीन थे शायद इसका अनुमान भी न लगा पाते गर वन विभाग द्वारा वृक्षों के सफल प्रत्यारोपण की जानकारी न मिलती । हम यु ही वृक्षों का कटान देख दुखी होते और हर saal सड़क निर्माण के naam par लाखों पेड़ कटते जाते । हम इसी उधेड़बुन में लगे रहते की कैसे इन वृक्षों की भरपाई करे , आखिर कैसे इतने पुराने ३० -४० साल के पेड़ों की नई फसल उगaayen ।
ये सुना था की किसी भी अchhi चीज़ को अपनाने में हर्ष होना चाहिए । विश्वास हो गया की इस बात में कितनी सच्चाई है।
में अपनी और पूरी मानव जाती की और से धन्यवाद देना चाहती हु डॉ पराग मधुकर धकाते जी (डी फ ओ तराई केंद्रीय वन प्रभाग हल्द्वानी) को जिन्होंने चीन में एक कार्यक्रम के दौरान वृक्षों के शिफ्टिंग की तकनीक सीखी और पहली बार दो दर्जन पेड़ों को टाटा कंपनी और पंतनगर विश्वविद्यालय के सहयोग से टांडा रेंज में प्रत्यारोपित किया ।
निश्चय ही ye हमारे सुखद भविष्य का बिगुल है ।
हम अब निश्चिंत है की दुनिया की धरोहर , हमारे कल की नीव , हमारे वृक्ष अब सुरक्षित है ।
Monday, June 14, 2010
Saturday, April 3, 2010
ज़िन्दगी
कोई ज़िन्दगी से क्या चाहता है बस
थोडा स असुकूं
खोज में जिसकी ताउम्र
चलते रहते है मुसाफिर
इसी उम्मीद में की कही न कही
मिलेगी उन्हें भी मंजिल
ये दुनिया किसी अप्सरा की भांति
लुभाती है
लक्ष्य को उकसाती है और फिर
शून्य में खो जाती है
और मनुष्य मोह में आकर
aankh मूँद कर चल पड़ता है
हवा के महल बनाने
जानता नहीं की ये दुनिया
किसी की नहीं
न इसका कोई
फिर भी किसी डोर से बंधे
हम इस के साथ कल भी आज भी
दुनिया गोल है इसमें संदेह नहीं
चल पड़े है सब इसी राह
जान कर भी अनजान है की
इसका कोई अंत नहीं
प्रयासरत रहेंगे अंतिम क्षण तक
अंतिम सांस तक की शायद
जहाँ प्राण छुते , जहाँ सांस टूटे
वो ही मंजिल थी , था वो ही सुकून
Subscribe to:
Posts (Atom)