पेड़ों की shifting,जीवन uplifting
वाकई जनाब ये केवल कहने की बात नहीं एक उज्जवल भविष्य बनाने की विधि है ।
हम अपने पर्यावरण , अपने वनों के प्रति कितने उदासीन थे शायद इसका अनुमान भी न लगा पाते गर वन विभाग द्वारा वृक्षों के सफल प्रत्यारोपण की जानकारी न मिलती । हम यु ही वृक्षों का कटान देख दुखी होते और हर saal सड़क निर्माण के naam par लाखों पेड़ कटते जाते । हम इसी उधेड़बुन में लगे रहते की कैसे इन वृक्षों की भरपाई करे , आखिर कैसे इतने पुराने ३० -४० साल के पेड़ों की नई फसल उगaayen ।
ये सुना था की किसी भी अchhi चीज़ को अपनाने में हर्ष होना चाहिए । विश्वास हो गया की इस बात में कितनी सच्चाई है।
में अपनी और पूरी मानव जाती की और से धन्यवाद देना चाहती हु डॉ पराग मधुकर धकाते जी (डी फ ओ तराई केंद्रीय वन प्रभाग हल्द्वानी) को जिन्होंने चीन में एक कार्यक्रम के दौरान वृक्षों के शिफ्टिंग की तकनीक सीखी और पहली बार दो दर्जन पेड़ों को टाटा कंपनी और पंतनगर विश्वविद्यालय के सहयोग से टांडा रेंज में प्रत्यारोपित किया ।
निश्चय ही ye हमारे सुखद भविष्य का बिगुल है ।
हम अब निश्चिंत है की दुनिया की धरोहर , हमारे कल की नीव , हमारे वृक्ष अब सुरक्षित है ।
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